सखि,
मन बहुत उदास है । 1988 से 1990 का काश्मीर का माहौल याद आने लगा है । उस समय हिन्दुओं को चुन चुन कर मारा गया था । उनकी बहन बेटियों से दुष्कर्म, सामूहिक बलात्कार और उनके साथ सरेआम बदसलूकी की गई थी । उन्हें काश्मीर से भाग जाने को विवश किया गया था । आज वही मंजर फिर से दोहराया जा रहा है ।
पिछले एक महीने में निम्न गैर मुस्लिमों की हत्या कर दी गई है ।
सुखविंदर कौर
दीपक चंग
राहुल भट्ट
वीरेन्द्र पासवान
सतीश सिंह
बालकृष्ण भट्ट
रणजीत
विजय कुमार
राजबाला
मुझे इन नामों की तो जानकारी है मगर ऐसे भी लोग होंगे जिनकी हत्या हो गई हो और समाचार हम तक नहीं पहुंचे हों । पता नहीं कितने लोग मरे हैं इन हत्याओं में ।
सखि, क्या यह भी बताने की आवश्यकता है कि ये टार्गेट किलिंग कौन कर रहा है ? ये वही शांतिप्रिय समुदाय है जिसने समूचे संसार में "शांति और भाईचारे" का डंका बजा रखा है । बस, यही समुदाय सहिष्णु है । बाकी तो घोर असहिष्णु हैं, सांप्रदायिक हैं । धर्मनिरपेक्षता का ठेका तो इसी शांति समुदाय ने ही ले रखा है बस ।
अब सरकार को चाहिए कि ऐसे आतंकवादियों , उनके पैरोकारों, रहनुमाओं, शरणदाताओं और हिमायतियों को सीधे "72 हूरों" से मिलवाने की जल्द व्यवस्था करे । नहीं तो लोगों का विश्वास इस सरकार से भी उठ जाएगा ।
दुष्टता को दुष्टता से ही जीता जा सकता है । यहां पर गांधीवाद काम नहीं आयेगा । यहां पर भगवान श्रीकृष्ण का गीता का उपदेश काम आयेगा । अब मोदी को कर्मयोग का सिद्धांत अपनाना चाहिए और ऐसे सभी भेड़ियों को जहन्नुम का टिकट कटवाना चाहिए । अगर ऐसा नहीं हुआ तो आपके आने का मतलब ही समाप्त हो जायेगा ।
हरिशंकर गोयल "हरि"
2.6.22
Radhika
09-Mar-2023 12:49 PM
Nice
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Gunjan Kamal
06-Mar-2023 08:57 AM
Nice 👍🏼
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Barsha🖤👑
03-Jun-2022 12:29 PM
Nice
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